Dec 5, 2015

यूपी में किसी की भी सरकार आ सकती है, लेकिन भाजपा की नहीं



डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

'अनार्य एकता और सक्रियता' के मकसद से मैं 22 नवम्बर, 15 से 27 नवम्बर तक लखनऊ, वाराणसी, आगरा, झांसी और ग्वालियर के दौरे पर गया। इस बीच अनेक मित्रों और आम जनता से रूबरू हुआ। जानकार और अनजान लोगों के विचार जाने।

इसी क्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी से शुरू करते हैं, जिसे मोदी और उनके भक्त मोक्षदायनी काशी कहना पसन्द करते हैं। वहां के रेलवे स्टेशन, जिसे वहां स्थानीय स्तर पर कैंट रेलवे स्टेशन भी बोला जाता है, के पास स्थित भीड़भाड़ वाली एक चाय की दुकान पर, चाय वाले को सम्बोधित मेरा सीधा सवाल—

''इस बार यूपी में किसकी सरकार आने की सम्भावना है?''
चायवाला—''किसी की भी आ सकती है, लेकिन भाजपा नहीं।''



इस बारे में चर्चा के दौरान अनेक प्रकार की बातें और जानकारी सामने आयी। कुछ मोदी—भक्त भी चाय पी रहे थे, जिनको यह सब सुनकर अथाह दु:ख हुआ। लेकिन चाय पीने वाले ग्राहकों और चाय वाले के सवालों और शिकायतों में से एक के भी समाधान या जवाब उन मोदी—भक्तों के पास नहीं थे।

यदि संक्षेप में कहा जाये तो चाय की दुकान पर ग्राहकों, रिक्शेवाले, थड़ी वाले, ठेले वाले, सब्जी वाले, गंगा में नाव खेने वाले, घोड़े से रोजजगार कमाने वाले, फूलवाले और हर आम इंसान वाराणसी में ठगा सा महसूस कर रहा है। सबको एक ही पछतावा है कि उन्होंने मोदी और भाजपा की बातों पर क्यों विश्वास किया?

सबको अपने आप पर गुस्सा है। सब को लगता है कि उन्होंने मोदी को प्रधानमंत्री बनाकर बहुत बड़ी गलती की है। शहर की सड़कें खराब हैं। गलियों और सड़कों की साफ-सफाई का हाल बुरा है। बहती हुई गंगा सड़ रही है। जिस मोदी ने कहा था कि—''मुझे गंगा माता ने बुलाया है!'' वह मोदी अब अपनी गंगा माता को भूल चुके हैं।

रेलवे स्टेशन गंदगी से पटा पड़ा है। बस स्टेण्ड से सारनाथ में प्रवेश करने तक हर जगह गंदगी का साम्राज्य है। सारनाथ में प्रवेश करने के बाद लगता है, कि किसी दूसरे शहर में आ गये हैं, लेकिन सारनाथ की बात अलग से करेंगे। दुकान-मकान सब जगह गंदगी का अटूट साम्राज्य है। बेतरतीब ट्राफिक, पुलिस का होना नहीं होना कोई मायने नहीं रखता। हर चौराहे पर ढेरों पुलिस की उपस्थिति उत्तर प्रदेश की पहचान है, लेकिन पुलिस केवल खड़ी रहती है, करती कुछ भी नहीं। लगता है पुलिस को केवल उपस्थित/खड़ी रहने के एवज में वेतन मिलता है, उनसे किसी प्रकार की सेवाओं की अपेक्षा नहीं की जा सकती।

मोदी के वाराणसी शहर में कुछ चोटीधारियों/तिलकधारियों को छोड़कर किसी ने नहीं कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार या नरेन्द्र मोदी की सरकार का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कोई असर होने वाला है। यहां तक कि तराजू वाले भी परेशान हैं। हां चोटीधारी और तिलकधारी पण्डे अवश्य यूपी में भाजपा की सरकार के लिये बेताब हैं।

इस सबके साथ एक बड़ी बात देखने को मिली। मुलायम के बेटे की सरकार को स्थानीय लोग नालायक सरकार मानते हैं, फिर भी भाजपा से अच्छी मानते हैं। मायावती को भाजपा की मित्र और ढोंगी करार देने वाले लोगों की भी अच्छी संख्या देखने को मिली। इसके बाद भी समाजवादी पार्टी के गुण्डों और मोदी के धोखे का फायदा अन्तत: मायावती को मिलने की आशा वाराणसी के लोगों को है।

लोग सही विकल्प के लिये कशमशा रहे हैं। उनको वह विकल्प चाहिये जो सच में जनता के प्रति संजीदा हो। माया, मोदी और मुलायम में ऐसी कोई संभावना न होते हुए भी इन्हीं में से किसी एक को चुनना उनकी मजबूरी होगी। अन्त में कांग्रेस के लिये एक रिक्शे वाली की पंक्ति—''यूपी में कांग्रेस, भाजपा बनने को बेताब है।''

-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', राष्ट्रीय प्रमुख, हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन (भारत सरकार की विधि अ​धीन दिल्ली से रजिस्टर्ड राष्ट्रीय संगठन) 

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