Jan 20, 2016

स्टार्टअप से स्टार्ट होगा इंडिया?

आज हम सब ऐसे दौर में जी रहे हैं, जहां ज्यादातर युवा कोई नौकरी करने के बजाए अपना कुछ अलग करना चाहता है। आज का युवा पिछले पिछली पीढी के युवा से दो मायनों में आलग है। पहला तो वो स्मार्ट है और दूसरा उसे मुख्यधारा में बहना पसंद नहीं है। युवाओं की मानसिकता ऐसी हो चुकी है किवो चाहता है कि किसी और के लिए काम करने से कहीं बेहतर है, खुद के लिए काम करना। इस कारण कुछ युवा तो अपने पैसों का इस्तेमाल कर अपना नया व्यापार शुरू कर देते हैं, तो वहीं कुछ युवा आर्थिक तंगी के कारण या तो छोटी-मौटी नौकरी करने लगते हैं या फिर बेरोजगार ही रह जाते हैं।


ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टार्टअप अभियान की शुरूआत कर युवाओं के लिए नई राह खोल दी है। इस अभियान के तहत स्टार्टअप के इच्छुक लोगों के लिए दस हजार करोड़ का कोष बनाया जाएगा और स्टार्टअप बिजनेस को बढावा देने के लिए मुनाफे में आयकर में तीन वर्ष की छूट दी जाएगी। इसके साथ ही पेटेंट शुल्क में भी 80 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। प्रधानमंत्री ने यह कदम उस समय उठाया है जब पूरी दुनिया में स्टार्टअप्स की डिमांड बढ रही है। आज छोटी-छोटी जगहों से निकले स्टार्टअप्स ने दुनिया को ऐसी-ऐसी चीजें दी है, जो कोई बड़ी कंपनी तक नहीं दे पाई। इसलिए इन स्टार्टअप्स का लोहा आज हर देश मान रहा है। भारत में ही प्रतिवर्ष स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ती जा रही है। 2010 में जहां स्टार्टअप्स की संख्या 480 थी, वहीं 2011 में 525, 2012 में 590, 2013 में 680, 2014 में 805 रहीं, तो वहीं 2015 के अंत तक स्टार्टअप्स की संख्या 1200 तक पहुंच गई। आंकड़ों पर नज़र डाली जाए तो भारत में अभी तक 91 प्रतिशत पुरूषों ने और 9 प्रतिशत महिलाओं ने स्टार्टअप शुरू किए। ऐसे में स्टार्टअप अभियान युवाओं को नई दिशा दे सकता है और 2016 के अंत तक भारत में स्टार्टअप की संख्या पहले से और बढ़ सकती है। इसके साथ ही स्टार्टअप शुरू करने वाली महिलाओं की संख्या में भी इजाफा हो सकता है।

मोदी के स्टार्टअप अभियान से भारत में बेरोजगार युवाओं की बढ़ती संख्या में काफी हद तक कमी भी आ सकती है। अगर हम आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में सबसे ज्यादा बेरोजगार पढे-लिखे युवा ही है। बेरोजगारों में 25 प्रतिशत 20 से 24 वर्ष के हैं तो वहीं 25 से 29 वर्ष के 17 फिसदी युवा बेरोजगार हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर जारी आंकड़ों के अनुसार बेरोजगारों में लगभग आधी संख्या महिलाओं की है। इन आंकड़ों में कहा गया है कि देश में 2.70 करोड़ऐसे बेरोजगार युवा हैं, जो कम से कम 10वीं या 12वीं तक पढ़े हुए हैं। तो वहीं तकनीकि शिक्षा हासिल करने वाले 16 फिसदी युवा बेरोजगार है। भारत में प्रतिवर्ष 2.5 करोड़ आबादी बढ़ती जा रही है, और जो युवा पिछले साल तक पढ़ाई कर रहा था, वो इस वर्ष नौकरी की तलाश में रहता है। ऐसे में जहां एक तरफ युवाओं की तादाद बढ़ती जा रही है, वहीं उनके लिए इस अनुपात में नौकरियां नहीं बढ़ रही हैं। ऐसे में कुछ पढ़े-लिखे युवा छोटी-मोटी नौकरी में लग जाते हैं और कुछ बेहतर मौके की तलाश में। ये स्टार्टअप अभियान युवाओं के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है।

देश में बढ़ती बेरोजगारी हमेशा से बहस का विषय रही है। ऐसे में कई युवा इस योजना की मदद से अपना खुद का कारोबार शुरू कर सकते हैं और साथ ही साथ अन्य युवाओं को भी रोजगार दे सकते हैं। ये अभियान समय की मांग और सरकार की दूरदर्शिता का परिणाम है। आज यदि सत्ता में भाजपा की बजाए कोई अन्य पार्टी भी होती तो शायद वो भी ऐसी ही किसी योजना की शुरूआत करती, जिससे ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजन हो सकते। वैसे स्टार्टअप अभियान सुनने में काफी आकर्षक और आशावादी लग रहा है लेकिन ये जमीनी स्तर पर कितना खरा उतरता है और क्या स्टार्टअप इंडिया से इंडिया स्टार्ट हो पाएगा?  ये तो आने वाला समय ही बताएगा।  

प्रियंक द्विवेदी
8516851837
जी- 95/11, तुलसी नगर, 1250 अस्पताल के पास
भोपाल

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