Feb 20, 2016

खुद को क्या मानते हैं... ''देशभक्त'' या ''देशद्रोही''

प्रिय मित्रों,

आप सभी को एक नया जेएनयू रचने के लिए बधाई देता हूं। कई दिनों से खबरों के जरिए, मित्रों के माध्यम से पता चलता रहा है कि जेएनयू में  कथित छात्र गणतंत्र दिवस मनाने के बाद से बौराये हुए थे। वहीं उमर खालिद समेत जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर भारत विरोधी नारे लगाने का आरोप चस्पा किया गया। लोग नमक हरामी का सबसे बड़ा उदाहरण देते हुए इन दोनों का जिक्र चाय की गुमटियों, पान की दुकानों, ऑफिस में लंच के दौरान, सफर के दौरान कर रहे रहे हैं। हालांकि वो लाल ईमारत....जी हां जेएनयू आज अपने साथ अन्याय की गुहार लगा रही है।
दरअसल उसका ये कहना है कि जिस धरा पर उसकी नींव रखी गई उसकी खिलाफत या कहिए टुकड़े टुकड़े करने की धमकी में कन्हैया भी तो शामिल था। कन्हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार तो कर लिया गया। पर समर्थन में वामदल के कई नेता, कांग्रेस का छात्र संगठन यानि की एनएसयूआई के छात्र उतर आए हैं। जेएनयू राष्ट्र भक्ति और आजादी के नाम पर अलग अलग कोने में बैठकर नए नए श्लोगन तैयार करने मेें लगा है। वैसे काफी पॉपुलर हो गए हैं। कश्मीर की आजादी तक...जंग रहेगी, भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी.... हालांकि आपकी जंग ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। बीते शुक्रवार को घाटी में लोगों और पुलिस के बीच जमकर संघर्ष हुआ। इस दौरान आईएस के झंडे लहराए गए और आताताईयों ने शुक्रिया कहकर जेएनयू में भारत विरोधी नारे लगाने वालों का समर्थन किया।

चिंता मत कीजिए कलम इस खबर को किसी और स्याही की मदद से कुछ और रंग दे देगी। अजी माहिर हैं। नहीं...नहीं बिलकुल फिक्र वाली कोई बात नहीं। अजी देखा नहीं आपने अभी पटियाला हाउस कोर्ट में कन्हैया कुमार की पेशी जो कि पूर्णतया देश विरोधी नारों पर केंद्रित थी, उसे कैसे रंग बदलकर मीडिया के साथ बद्सलूकी बता दिया। अरे माना कीजिए बड़े लोग हैं, संपादक...वरिष्ठ पत्रकार और वगैरह वगैरह। जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। कुछ भी बोलेंगे पब्लिक मान लेगी। अरे आपने देखा नहीं स्क्रीन ब्लैक कर इतिहास बनाया जा रहा है। कॉन्सेप्टबाज लोग हैं भाई। हां एक साहब तो ये भी कह रहे हैं कि हां मैं हिंदू हूं और राष्ट्र विरोधी भी हूं। फिर आपके लिए डरने वाली कोई बात ही नहीं। बहरहाल उन्होंने अनुच्छेद 19 के अनुसार अभिव्यक्ति की आजादी पर अपनी आस्था जताई है। सीधे तौर पर आप समझ सकते हैं कि मीडिया पक्ष पर टिकने लगी है। निष्पक्षता राजनीति पर डिपेंड है भई। चलिए रहने भी दीजिए। रही बात अभिव्यक्ति की आजादी की तो आप भी तो साहब खूब फायदा उठा रहे हैंं। बाद में सीना ठोंककर कहते हैं ''पत्रकार हैं, वो फलां फलां से''।

वैसे ये पूरा मुद्दा तो लगभग आपके ही पक्ष में ही रहा। जिसमेें कोई दो राय नहीं। हां एक बात जानना चाहता हूं, अब पाकिस्तान के किस मुद्दे की हिमायत करने की खातिर आप नया जेएनयू रचने वाले हैं। वैसे भारत के टुकड़े तो हो गए...बंट गया दो हिस्सों में समाज। अब बांटकर क्या नया करने की मंशा पाल रहे हैं। दरअसल आपसे अनुरोध है कि इन सभी मुद्दों की सूचना थोड़ा पहले दे दिया करिए जिससे शांति पसंद करने वाला समाज, एकता और अखंडता की चाह रखने वाले लोग अपनी आंखों को इस पूरे प्रकृम से पहले ही कुछ वक्त तक बंद कर सकें। क्योंकि भारत को शिद्दत के साथ संजोए रखने की खातिर जो प्रहरी दिन रात सीमाओं पर तैनात हैं वे इस घटना के बाद खुद को उद्देश्यविहीन समझ रहे हैं।


आपका
हिमांशु तिवारी आत्मीय
पत्रकार और एक जिम्मेदार नागरिक
himanshujimmc19@gmail.com

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