Feb 16, 2016

नेशनल दुनिया के स्टिंगरों का आठ माह से नहीं मिला वेतन

चाटुकार बने हैं भुगतान में रोडा, वेतन न मिलने के कारण जयपुर में कर्मचारियों ने कलमबंद हडताल रखी, नोएडा में नानपेमेंट के कारण नेट का कनेक्शन कटा

नयी दिल्ली । नेशनल दुनिया का दिल्ली और जयपुर संस्करण् इस समय अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है। इन दोनो संस्करण् में कार्यकरने वाले जिलों के स्टींगरों को पिछले आठ माह से पगार नहीं मिली है । बाकी अन्य स्टाफ का पांच माह का वेतन बकाया है । जयपुर में शनिवार को कर्मचारियों ने वेतन न मिलने के कारण कलमबंद हडताल रखी । सूत्रों का कहना है कि वेतन न मिलने के कारण् दिल्ली संस्करण् के समाचार कार्डिनेटर संतशरण अवस्थी पिछले 20 दिन से कार्यालय नहीं आ रहे है । माना जा रहा है कि वह संस्थान को अलविदा कह चुके है । इसके अलावा काफी समय पहले मेरठ के स्थानीय सम्पादक श्रीचंद भी संस्थान को अलविदा कह चुके है । चर्चा है कि मेरठ से हटाकर नोएडा भेजे गये सुभाष् सिंह काफी समय से इन दोनों के ख्लिाफ मालिकों के कान भर रहे थे। जिसके कारण इन दोनों को ससथान छोडना पडा । स्टींगरो का वेतन न मिलने के पीछे भी सुभाष् सिंह के नाम की चर्चा है । कर्मचारियों का कहना है कि अपनी नौकरी बचाने के लिए सुभाष् आये दिन मालिकों के उल्टे सीधे कान भरता रहता है । इन्हीं करकतों के कारण मेरठ में नाराज कर्मचारियों ने इनकी धुनायी कर दी थी । बाद में इस घटना के बाद इनका तबादला नोएडा कर दिया गया ।


नोएडा में अब चार लोग सम्पादकीय विभाग में बचे है , नेट का बिल काफी समय से जमा नहीं हुआ ,इसलिए श​निवार को इंटरनेट सेवा बंद हो गयी । स्टाफ को दिल्ली कार्यालय जाकर काम करना पडा । सफााई कर्मचारियों को पगार नहीं मिली , इसलिए टायलेट भी सड गये है । संक्रामक रोग फैलने की नौबत आ गयी है । चर्चा है कि नेशनल दुनिया का सम्पादक बदलने की कवायद शुरू हो गयी है । दिल्ली के ब्यूरो प्रमुख् कुमार समीर और सुभाष् सिंह सम्पादक बनने की दौड में है । सम्पादक बनने के लिए दोनों ने मालिक शैलेंद्र भदौरिया की चाटुकारिता करने के मामले में कोई कसर नहीं छोड रहे है । कर्मचारियों की चुगली करने में दोनों कोई मौका नहीं छोड रहे है । एनसीआर में सभी ब्यूरो बंद हो चुके है और अख्बार भी पिछले तीन माह से नहीं पहुंच रहा है । स़ूत्रो का कहना कि ब्यूरों के रिर्पोटरों को नोएडा बुलाकर डेस्क पर काम कराने की योजना पर विचार चल रहा है ताकि ये लोग खुद तंग आकर संस्थान छोड कर चले जाय ।

Premnath Sharma
premnath209@gmail.com

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