Feb 16, 2016

परिवार नियोजन अपनाने वाले गांव को पुरूस्कृत के बदले मिला अभिश्राप

बैतूल, (रामकिशोर पंवार) : आजादी के पहले गोरे अग्रेंजो के दंश से देश को आजाद कराने के लिए कांग्रेस का प्रांतीय सम्मेलन आयोजित करने वाले कांग्रेस धनोरा को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवन संगनी कस्तुरबा गांधी बा की एक सीख इतनी मंहगी पड़ी की उसे गांव की बेटे -बेटियो के  लिए एक हायर सेकण्डरी स्कूल तक नहीं मिल वही दुसरी ओर आसपास के सभी एक दर्जन गांवो में हायर सेकण्डी स्कूल खोले जा चुके है। जनसंख्या के अनुपात में मिलने वाली सरकारी सुविधाओं से कोसो दूर हो चला धनोरा को यूं तो पारसडोह धनोरा भी कहते है लेकिनउसकी असली पहचान कांग्रेस धनोरा के रूप में है।


कांग्रेस मुक्त देश को लेकर देश की सत्ता में लौटी भाजपा को भी इस गांव से बेहद चीढ़ है तभी तो गांव तक पहुंचने वाली एक दर्जन से अधिक सरकारी योजनाएं जनसंख्या के अभाव में बैरंग वापस लौट गई। जब इस गांव को प्रधानमंत्री की मन की बात में शामिल करने की बात चली तो भाजपा और संघ से जुड़े कुछ अधिकारियों ने इस गांव की ऐसी विकृत तस्वीर पेश करने की कोशिस की जिससे ऐसा लगता है कि गांव ने 93 साल से परिवार नियोजन को अपना कर कोई बड़ा तीर नहीं मारा है क्योकि परिवार नियोजन गांव वालो की सोच का नहीं बल्कि सरकारी नसबंदी कार्यक्रम के तहत मिलने वाली सामग्री का है जिसके उपयोग से गांव की जनसंख्या दर दिन प्रति दिन घटती चली जा रही है। एक जानकारी के अनुसार  बैतूल जिला कलैक्टर कार्यालय द्वारा सीएमएचओ को प्रेषित पत्र दिनांक 6/1/2016 के संदर्भ में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी बैतूल का पत्र दिनांक 2/2/2016 में लिखा गया है कि धनोरा को प्रधानमंत्री की मन की बात में शामिल करने की मांग तथ्यहीन है। क्योकि उन्हे विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र आठनेर का ग्राम धनोरा के संदर्भ में एक पत्र प्राप्त हुआ। जिसके अनुसार आठनेर जनपद की ग्राम पंचायत धनोरा के ग्राम धनोरा की वर्ष 1922 में आबादी क्या थी ? 1922 से लेकर वर्ष 2016 तक के जनसंख्या बढोतरी के आकड़े परिवार नियोजन की सफलता के लिए पर्याप्त आधार नहीं है। गांव के बारे में जानकारी पत्रक में बताया गया कि गांव की आबादी 2001 में 1642 थी तथा वर्तमान 1757 है।

इसका तबलब साफ है कि गांव की आबादी 15 वर्षो में मात्र 110 बढ़ी है। गांव ने वर्तमान समय में कुल परिवार 21 परिवार ऐसे है जिनकी मात्र एक संतान है जो परिवार नियोजन का पालन कर रहे है। दो बच्चो के परिवार वालो की संख्या 14 है। तथा ऐसे लोगो की संख्या 19 है जिनकी एक भी संतान नहीं है। तथा 3 बच्चो वालो की संख्या 10 है। सबसे बेहद चौकान्ने वाले तथ्य यह है कि इस गांव में स्वप्रेरणा से दो बच्चो पर आपरेशन करवाने वाले दंपत्ति की संख्या 104 है।  तीन बच्चों पर आपरेशन करवाने वाले 52 , चार बच्चों पर  23 तथा पांच बच्चो पर आपरेशन करवाने वाले 5 दपंत्ति है।  ग्राम में 324 मकान है जिसमें 371 परिवार रहते है। सरकारी आकड़ो की बाजीगरी में यह नहीं बताया गया कि तीन -चार - पांच बच्चों पर आपरेशन करवाने दम्पत्ति के वर्तमान में जीवित बच्चे कितने है।

इन सभी लोगो के नाम एवं पते तथा उनकी गांव में मौजूदगी का समय? भी नहीं बताया गया है। परिवार नियोजन अपनाने की वजह से ग्राम धनोरा की जन्मदर घटी है जिसका बेहद शर्मनाक परिणाम यह सामने आया है कि आजादी के बाद से यह गांव दो हजार की आबादी को मिलने वाली शिक्षा - स्वास्थ - पेयजल - एवं अन्य जनउपयोगी सुविधाओं से उपेक्षित रहा है। आसपास के सभी गांव में हायर सेकण्डी स्कूल खोला जा चुका है लेकिन जनसंख्या कम होने का अभिश्राप इस गांव को यह मिला कि यहां पर सरकारी हायर सेकेण्डरी स्कूल तक नहीं खोला जा सका।इस गांव को आदर्श गांव एवं परिवार नियोजन को शत् - प्रतिशत अपनाने के कारण प्रधानमंत्री की मन की बात में शामिल करने के लिए मां सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति के प्रदेश अध्यक्ष की ओर से जिला कलैक्टर से लेकर पीएमओ को पत्र लिखा गया था।

बताया जाता है कि स्वास्थ विभाग के गैर जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों तथा आशा कार्यकत्र्ता ने गांव के पूर्ण रूप से जनसंख्या पर नियंत्रण पाने की बात को छुपा कर यह बताने का प्रयास किया कि गांव में 3 बच्चो एवं 5 बच्चों पर आपरेशन करवाने वाले इतने परिवार है इसलिए इस गांव को प्रधानमंत्री की मन की बात में शामिल नहीं किया जा सकता? बेहद शर्मनाक सच यह है कि सीएचएमओ बैतूल डॉ प्रदीप मोजेस ने अपने विभाग की कमजोरी को छुपाने एवं गांव के लोगो द्वारा स्व प्रेरणा से परिवार नियोजन को अपनाने की बात को नजरअंदाज कर गांव के लोगो द्वारा 93 वर्षो से परिवार नियोजन को अपना कर गांव की जनसंख्या पर नियंत्रण रखने का बेमिसाल उदाहरण पेश किया है। डॉ प्रदीप मोजेस की वह टिप्पणी शर्मनाक है जिसमें गांव को प्रधानमंत्री के मन की बात को शामिल करने को तथ्यहीन लिखा गया। मन की बात में शामिल करने या नहीं करने का निर्णय पीएमओ को लेना है ना कि सीएमएचओ को ? आपको पत्र लिखते समय मैं गांव का पूरी जानकारी दी थी लेकिन स्वास्थ विभाग ने पूरे गांव को श्रेय न मिल जाए इस हीन भावना से ग्रसित होकर शर्मनाक एवं निंदा जनक कार्य किया है।

मॉ सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति मध्यप्रदेश के अध्यक्ष की ओर से जारी प्रेस विज्ञिप्त में बताया गया कि समिति के अध्यक्ष द्वारा प्रदेश सरकार के स्वास्थ सचिव, स्वास्थ मंत्री, मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन, मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन, केन्द्रीय स्वास्थ मंत्री भारत सरकार, पीएमओ दिल्ली को पत्र लिख कर इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर तथ्यों को छुपा कर शासन - प्रशासन को गुमराह करने वाले बैतूल जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रदीप मोजेस को तत्काल प्रभाव बर्खास्त किया जाए। डॉ प्रदीप मोजेस ने जानबुझ कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवन संगनी स्वर्गीय श्रीमति कस्तुरबा गांधी बा के परिवार नियोजन कार्यक्रम के स्लोगन छोटा परिवार - सुखी परिवार को 93 वर्षो से अपनाने वाले गांव को पुरूस्कृत करने के बजाय उसका अपमान करने का महापाप किया है। सीएचएमओ ने ग्राम धनोरा के परिवार नियोजन एवं जनसख्ंया नियत्रंण को नजर अंदाज किया है। उस गांव की पीडा इससे बडी और क्या होगी कि उसे परिवार नियोजन अपनाने के कारण सरकारी जनसंख्या आकड़ो पर मिलने वाली सुविधाओं के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है उसके बाद भी गांव में जनसंख्या पर लोगो का नियंत्रण जारी है। देश में ही नहीं दुनिया में ऐसा पहला गांव होगा जहां पर रहने वाले शत् प्रतिशत लोगो परिवार नियोजन को स्वप्रेरणा से अपनाया है। सबसे चौकान्ने वाली बात तो यह है कि यहां पर कुछ वर्षो तक रहने वाले अल्पसंख्यक पठान परिवार तक ने परिवार नियोजन अपनाया था आज वह गांव को छोड़ कर दुसरे गांव में बस गया जिसके चलते उसके परिवार की आबादी सौ के लगभग हो चुकी है।

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