May 19, 2016

वाह रे मुलायम की सियासत-वफादारों को दुत्कार और गुंडा, बदमाश कहने वालों को ईनाम!

दिल्ली (17 मई 2016)- क्या मुलायम सिंह यादव गुंड़े हैं..?  क्या मुलायम सिंह यादव बदमाश हैं...?  क्या मुलायम सिंह यादव के संबध आतंकवादियों से हैं...? क्या मुलायम सिंह यादव मुसलमानों के दुश्मन हैं...? क्या मुलायम सिंह ने मुज़फ़्फ़रनगर में मोदी से मिलकर दंगे कराए थे...? क्या मुलायम सिंह यादव सरकार बनवाने के एवज़ कमीशन खाते हैं... ? क्या मुलायम सिंह यादव घोटालेबाज़ हैं...? आखिर कौन लगा रहा है इतने गंभीर आरोप...?



जी हां इसी तरह के कुछ सवालों को लेकर अब कुछ बात मुल्ला मुलायम सिंह यादव की। देश के सियासी गलियारे में चर्चा है कि मुलायम सिंह यादव अगर नेता है तो मुस्लिम वोटों के दम पर। अगर उनके वलीअहद फिलहाल देश के सबसे बड़े सूबे के कप्तान हैं तो मुस्लिम वोटों के दम पर। अगर हमारी इस बात से यादव एंड कंपनी के किसी सदस्य को इंकार है तो प्रैस कांफ्रेस करके इसका खंडन करें। लेकिन मुलायम सिंह को जब राज्यसभा में किसी को भेजने की ज़रूरत पड़ी तो उन्हे एक भी मुसलमान तक नज़र नहीं आया। यानि मुसलमान सिर्फ वोट देने के लिए है कुछ पाने के लिए नहीं।

उधर मुलायम सिंह को आतंकवादियों को सरंक्षक कहने वाले बेनी प्रसाद वर्मा का नाम उस सूची में है जिनको समाजवादी पार्टी बतौर ईनाम संसद में भेजना चाहती है। वही बेनी प्रसाद वर्मा जो अभी कुछ घंटे पहले तक कांग्रेस में थे। वही बेनी प्रसाद वर्मा जो समाजवादी पार्टी में रहते हुए समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव एंड संस, एंड ब्रदर्स, एंड फैमली की राजनीतिक दुकान को गरियाते हुए कांग्रेस में चले गये थे। वही बेनी प्रसाद वर्मा जिन्होने मुलायम सिंह यादव को एक नहीं कई कई बार गुंडा कहा। वही बेनी प्रसाद वर्मा जिन्होने मुलायम सिंह यादव को मुस्लिमों का दुश्मन कहा। बेनी ने मुलायम को मुस्लिमों का दुश्मन इस आधार पर कहा कि बाबरी मस्जिद को शहीद करने वाले साक्षी महाराज और कल्याण सिंह से मुलायम सिंह का लंबा प्रेम प्रसंग रहा। वही बेनी प्रसाद वर्मा जिन्होने गुजरात में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान मुसलमानों का नरसंहार करने वाली सियासी जमातों की कथित मदद के लिए मुलायम सिंह द्वारा बैक डोर से कोशिश किया जाने को लेकर मुलायम सिंह को संसद तक में जमकर लताड़ा था।

वही बेनी प्रसाद वर्मा जिन्होने मुलायम पर कमीशन लेकर सरकार बनाने में मदद का आरोप लगाया था। वही बेनी प्रसाद वर्मा जो मुलायम सिंह यादन को पीएमओ में झाड़ू तक लगाने की नौकरी के लायक नहीं समझते हैं। वही बेनी प्रसाद वर्मा जिनको मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल  यादव नशेड़ी और ड्रग स्मगलर कहते हैं। वही बेनी प्रसाद वर्मा जिनको समाजवादी पार्टी के संसदीय उम्मीदवार रह चुके राजू स्रीवास्तव चर्सी कहते हों।

वही बेनी प्रसाद वर्मा जिनका कहना है कि मुज़फ़्फ़रनगर में होने वाले दंगे मुलायम सिंह यादव और नरेंद्र मोदी की सांठगाठ से हुए हैं। वही बेनी प्रसाद जिनका कहना है कि मुज़फ़्फ़रनगर में दंगों के दौरान 200 लोग गुजरात से आए और उन्होने लोगों की हत्या की। वही बेनी बाबू जिनका कहना है कि समाजवादी पार्टी झूठ और फरेब पर टिकी है। वही बेनी प्रसाद जिन्होने मुज़फ्फ़रनगर में दंगो के पीड़ितों के ज़ख्मों पर मरहम रखने के बजाए सैफई महोत्सव में विदेशी लड़कियों के डांस से मनोरंजन के आरोपों लगाते हुए मुलायम सिंह यादव के मुस्लिम प्रेम पर सवाल उठाए हैं। वही बेनी प्रसाद वर्मा जिनके बारे समाजवादी पार्टी के नेता कहते हैं उनका दिमागी संतुलन ठीक नहीं है। वही बेनी बाबू जिनके बयानों को लेकर राजनीति के मिस्टर कूल अखिलेश यादव तक बेहद आाहत हुए। वही बेनी प्रसाद जिनके खिलाफ मुलायम सिंह को संसद तक में निलंबन की मांग करनी पड़ी थी। वही बेनी प्रसाद वर्मा जिन्होने मुलायम सिंह यादव को बेशर्म तक कहा। वही बेनी प्रसाद वर्मा आज अचानक मुलायम सिंह यादव के इतने चहेते हो गये हैं कि उनको ईनाम के तौर पर संसद में भजने की तैयरियां की जा चुकी है।

इतना ही नहीं पिछली लोकसभा स्पीकर के सामने भी बेनी प्रसाद वर्मा ने मुलायम सिंह को आंतकवाद का संरक्षक कहा था। लेकिन जब मुस्लिमों की दम पर टिके मुलायम सिंह यादव को राज्यसभा में मुस्लिम नुमाइंदगी के लिए किसी नाम की तलाश थी को उनको कोई मुस्लिम नहीं दिखा। और दिखे भी कौन, बेनी प्रसाद वर्मा, ठाकुर अमर सिंह आदि आदि।

कभी साक्षी महाराज तो कभी कल्याण सिंह से दोस्ती तो कभी अमर सिंह और आज़म ख़ान का रूठना मनाना। इसी सबके बीच मुस्लिम वोटर ये समझ नहीं पा रहा है कि जिस मुल्ला मुलायम को उसने अपना सब कुछ माना है उसकी झेली में समाज को कुछ देने के लिए है भी या नहीं।

हो सकता है कि इस बहाने मुस्लिमों के क़ायदे आज़म बनने का ख्वाब देखने वाले अपने एक बड़ोबेल नेता को औक़ात बताने के लिए  मुलायम ने ये चला चली हो। लेकिन कई सवाल ऐसे भी हैं जिनका जवाब अगर जनता मांग बैठी, तो देश का सबसे बड़ा सियासी परिवार एक दूसरे का मुंह ही ताकता रह जाएगा।

लेखक आज़ाद ख़ालिद टीवी पत्रकार हैं डीडी आंखों देखीं, सहारा समय, इंडिया टीवी, इंडिया न्यूज़, वॉयस ऑफ इंडिया समेत कई दूसरे राष्ट्रीय चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं।

AZAD KHALID
9718361007

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